BEd Vs DElED News2024
बीएड और डीएलएड विवाद में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक अहम फैसला सुनाया गया है यह फैसला बीएड के पक्ष में सुनाया गया है।
बीएड और डीएलएड का विवाद लंबे समय से चल रहा है इसके ऊपर कई बार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में निर्णय आ चुका है सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बीएड डिग्री धारी के लिए एक फैसला सुनाया है यह फैसला आने के बाद में बीएड डिग्री धारीयो राहत मिली है, सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पूरे देश के लिए निकला है।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि प्राइमरी शिक्षक भर्ती के लिए बीएड के अभ्यर्थी मान्य नहीं है इसके मध्य नजर एक कई भर्तीयों में बीएड डिग्री धारी लेवल वन में पास होकर नियुक्ति पा चुके हैं सुप्रीम कोर्ट ने b.ed डिग्री धारी प्राइमरी शिक्षक भर्ती को लेकर बड़ी राहत दी है शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा है कि जो भर्तीया 11 अगस्त 2023 से पहले हुई थी उन पर 11 अगस्त 2023 के फैसले का असर नहीं पड़ेगा।
लेकिन कोर्ट ने यह भी सच लगे है कि किसी अदालत से उनकी योग्यता के बारे में कोई आदेश नहीं होना चाहिए सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पूरे देश के लिए आया है गौरतलाप है कि सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त 2023 के अपने फेसले के तहत कहा था कि केवल डिप्लोमा धारा की प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ने के लिए पात्र होंगे लेवल वन पहले से पांचवी कक्षा तक में बीएड अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पाएंगे।
पीठ ने एनसीटीई राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद के उसे गजक नोटिफिकेशन को भी खारिज कर दिया था जिसमें बीएड डिग्री डायरेक्ट को लेवल फर्स्ट शिक्षक भर्ती के लिए योग्य करार दिया गया था एनसीटीई की इस अधिसूचना में कहा गया है कि अगर बीएड डिग्री धारी लेवल वन में पास होते हैं तो उन्हें नियुक्ति के बाद 6 महीने में ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य है।
दैनिक जागरण अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अनिरुद्ध बस और जस्टिस सुदास दूरियां की पीठ में सोमवार 8 अप्रैल को सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया है जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2023 से पहले के जारी हुए प्राइमरी शिक्षक भर्ती विज्ञापनों में अगर बीएड योग्यता डली हुई थी तो उन लोगों की नौकरी बनी रहेगी।
पीठ ने एमपी सरकार की फैसले का स्पष्टीकरण मांगने वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया। मध्य प्रदेश सरकार ने और बहुत से प्रभावित अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से आदेश में संशोधन करने और स्पष्टीकरण की गुहार लगाई थी। इस फैसले से बहुत बड़ी संख्या में बीएड उत्तीर्ण प्राथमिक शिक्षक प्रभावित हुए हैं।
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